Shilpi Jain Murder Case1999: बिहार की राजनीति में एक बार फिर 26 साल पुराना शिल्पी जैन मर्डर केस सुर्खियों में है। जन सुराज पार्टी के प्रमुख और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर गंभीर आरोप लगाते हुए इस हाई-प्रोफाइल हत्याकांड को फिर से उठाया है।
1999 में पटना की 23 वर्षीय मेधावी छात्रा शिल्पी जैन और उनके दोस्त गौतम सिंह की निर्मम हत्या ने न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया था। प्रशांत किशोर के ताजा बयानों ने इस केस के अनुत्तरित सवालों को फिर से हवा दी है, जिसमें CBI जांच की निष्पक्षता और सत्ताधारी नेताओं की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
शिल्पी जैन कौन थीं? Who is Shilpi Jain
23 वर्षीय शिल्पी जैन पटना वीमेंस कॉलेज की एक होनहार छात्रा थीं। 1998 में उन्होंने मिस पटना का खिताब जीता था, जिससे उनकी लोकप्रियता और बढ़ी। उनके पिता उज्ज्वल कुमार जैन पटना के एक प्रतिष्ठित कपड़ा कारोबारी थे और शिल्पी पढ़ाई पूरी कर अपने करियर की नई शुरुआत करने वाली थीं।

शिल्पी की जिंदगी तब बदल गई, जब उनकी मुलाकात गौतम सिंह से हुई। गौतम एक एनआरआई परिवार से थे, जिनके पिता ब्रिटेन में डॉक्टर थे। गौतम का रुझान बिहार की राजनीति की ओर था और वह स्थानीय स्तर पर सक्रिय थे। दोनों की दोस्ती जल्दी ही प्यार में बदल गई, लेकिन यह रिश्ता उनकी जिंदगी का सबसे दुखद मोड़ बन गया।
3 जुलाई 1999 का भयावह दिन, जिसने सब बदल दिया
3 जुलाई 1999 की सुबह शिल्पी रोज की तरह अपनी कंप्यूटर कोचिंग के लिए घर से निकलीं। रास्ते में गौतम के एक परिचित ने उन्हें अपनी कार में बैठने के लिए कहा। शिल्पी ने संकोच नहीं किया क्योंकि वह उस शख्स को जानती थीं। लेकिन कार कोचिंग सेंटर की बजाय वाल्मी गेस्ट हाउस की ओर ले जाई गई। वहां गौतम को भी बुलाया गया। गवाहों के अनुसार, शिल्पी ने मदद के लिए चीखने की कोशिश की और गौतम ने उन्हें बचाने का प्रयास किया, लेकिन हमलावरों ने दोनों को काबू कर लिया।
उसी रात पटना के फ्रेजर रोड पर गांधी मैदान के पास सरकारी क्वार्टर नंबर 12 के गैराज से एक सफेद मारुति जेन कार बरामद हुई। इस क्वार्टर पर उस समय बाहुबली नेता साधु यादव का कब्जा था। कार के अंदर शिल्पी और गौतम की अर्धनग्न लाशें मिलीं। शिल्पी के शरीर पर सिर्फ गौतम की टी-शर्ट थी, जबकि गौतम पूरी तरह निर्वस्त्र थे। इस दृश्य ने पुलिस, परिवार और समाज को स्तब्ध कर दिया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने पुष्टि की कि शिल्पी के साथ गैंगरेप हुआ था और गौतम को बेरहमी से पीट-पीटकर मारा गया।
जांच में लापरवाही और सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप
पुलिस की प्रारंभिक जांच पर गंभीर सवाल उठे। कार को मौके पर सील करने की बजाय ड्राइव करके थाने ले जाया गया, जिससे फिंगरप्रिंट और डीएनए जैसे अहम सबूत नष्ट हो गए। घटनास्थल पर साधु यादव के समर्थकों की भारी भीड़ जमा हो गई, जिसने जांच को प्रभावित किया। स्थानीय पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला बताया, जिसे शिल्पी के परिवार और समाज ने सिरे से खारिज किया।
शिल्पी के परिवार और सामाजिक संगठनों के दबाव के बाद सितंबर 1999 में केस CBI को सौंपा गया। CBI ने 2003 में अपनी क्लोजर रिपोर्ट में इसे आत्महत्या करार दिया, लेकिन गैंगरेप और हिंसा के निशानों की पुष्टि की। साधु यादव और कुछ अन्य नेताओं पर शक की सुई थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
सम्राट चौधरी पर क्यों उठे सवाल?
प्रशांत किशोर ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सम्राट चौधरी पर निशाना साधते हुए कहा कि शिल्पी जैन मर्डर केस (Shilpi Jain Murder Case1999) में कई सवाल आज भी अनुत्तरित हैं। क्या सम्राट चौधरी की उस समय जांच हुई थी? क्या उनका डीएनए टेस्ट लिया गया? CBI की जांच कितनी निष्पक्ष थी?

इन सवालों ने बिहार की सियासत में भूचाल ला दिया। सम्राट चौधरी, जो उस समय लालू प्रसाद यादव की RJD सरकार में एक उभरते नेता थे, का नाम केस में संदिग्धों में शामिल होने की अफवाहें थीं, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं मिला।
प्रशांत किशोर का यह बयान 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आया है, जिसे राजनीतिक हथियार के रूप में देखा जा रहा है। सम्राट चौधरी ने इन आरोपों को “बेबुनियाद” बताते हुए खारिज किया और कहा कि मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं है। यह सियासी साजिश है। हालांकि, उन्होंने CBI जांच की दोबारा मांग नहीं की, जिसने सवालों को और हवा दी।
शिल्पी के परिवार का दर्द: न्याय की अधूरी लड़ाई
शिल्पी के परिवार ने इस केस को कभी आत्महत्या नहीं माना। उनके पिता उज्ज्वल जैन ने कहा कि मेरी बेटी को इंसाफ नहीं मिला। यह सत्ता और बाहुबल का खेल था। 2003 की CBI क्लोजर रिपोर्ट के बाद परिवार ने कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं मिला।
2006 में शिल्पी के भाई प्रशांत जैन का अपहरण हुआ, जिसे परिवार ने दबाव का हिस्सा बताया। बाद में प्रशांत को छुड़ा लिया गया, लेकिन परिवार आज भी मानता है कि यह केस राजनीतिक दबाव में दबा दिया गया।
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क्या फिर खुलेगा शिल्पी जैन केस?
शिल्पी जैन मर्डर केस (Shilpi Jain Murder Case1999) बिहार के इतिहास का एक काला अध्याय है, जो सत्ता, अपराध और लापरवाही की कहानी बयां करता है। 26 साल बाद भी शिल्पी और गौतम के परिवार को इंसाफ का इंतजार है।
प्रशांत किशोर के ताजा बयानों ने इस केस को फिर से चर्चा में ला दिया है, और यह देखना होगा कि क्या यह बिहार चुनाव 2025 में बड़ा मुद्दा बनेगा। क्या CBI जांच फिर से खुलेगी? क्या सम्राट चौधरी इस विवाद से बच पाएंगे? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में सामने आएंगे।










