मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने स्टेट सर्विस एग्जामिनेशन (SSE) 2024 के मुख्य परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए हैं, जिसे MPPSC 2025 के रूप में जाना जा रहा है। आधिकारिक वेबसाइट पर जारी मेरिट लिस्ट में जनरल कैटेगरी के देवांशु शिवहरे ने पहली रैंक हासिल की है।
कुल 110 पदों के लिए 87% मुख्य कोटा के तहत रिजल्ट जारी हुआ है, जबकि शेष 13% प्रोविजनल कोटा कोर्ट केस के बाद घोषित होगा। यह रिजल्ट 12 सितंबर 2025 को आया, जिसमें प्रीलिम्स फरवरी 2025 और मेन्स अक्टूबर 2024 में हुए थे। टॉपर्स की लिस्ट में महिलाओं की मजबूत मौजूदगी है, जो MPPSC की तैयारी करने वाले लाखों उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा है।
MPPSC 2025 टॉपर लिस्ट: टॉप 5 कैंडिडेट्स की डिटेल
MPPSC SSE 2025 की मेरिट लिस्ट में टॉप रैंकर्स ने अपनी मेहनत से सभी को प्रभावित किया है। आयोग ने कुल 158 उम्मीदवारों को विभिन्न पदों जैसे डिप्टी कलेक्टर, डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (DSP), असिस्टेंट डायरेक्टर आदि के लिए शॉर्टलिस्ट किया है। टॉप 5 की लिस्ट इस प्रकार है:

- देवांशु शिवहरे (जनरल/अनरीजर्व्ड) – रैंक 1। इंदौर के रहने वाले देवांशु ने कुल अंकों में टॉप किया। उनकी तैयारी का फोकस करंट अफेयर्स और जीएस पर था।
- ऋषव अवस्थी (EWS – इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन) – रैंक 2। भोपाल से ताल्लुक रखने वाले ऋषव ने कठिन प्रतियोगिता में दूसरा स्थान हासिल किया।
- अंकित (SC – शेड्यूल्ड कास्ट) – रैंक 3। SC कैटेगरी से अंकित ने अपनी मेहनत से तीसरा स्थान पाया, जो आरक्षित वर्ग के लिए बड़ी उपलब्धि है।
- शुभम (OBC – अदर बैकवर्ड क्लास) – रैंक 4। OBC कैटेगरी के शुभम ने सामाजिक चुनौतियों के बावजूद सफलता हासिल की।
- हर्षिता दवे (जनरल/अनरीजर्व्ड) – रैंक 5। महिलाओं में पहली हर्षिता ने टॉप 5 में जगह बनाई, जो लैंगिक समानता की मिसाल है।
पूर्ण मेरिट लिस्ट पीडीएफ में रोल नंबर, नाम और कैटेगरी के आधार पर उपलब्ध है। उम्मीदवार आधिकारिक साइट पर जाकर चेक कर सकते हैं। इंटरव्यू प्रक्रिया जल्द शुरू होगी और फाइनल सिलेक्शन मेन्स और इंटरव्यू के अंकों पर आधारित होगा।
देवांशु शिवहरे की स्ट्रगल स्टोरी: पहली अटेम्प्ट में टॉप, लेकिन 3 साल की तैयारी का सफर
टॉपर देवांशु शिवहरे की कहानी उन उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा है जो पहली कोशिश में सफल होना चाहते हैं। इंदौर के एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले देवांशु ने ग्रेजुएशन के बाद 2022 से MPPSC की तैयारी शुरू की। शुरुआती दिनों में आर्थिक तंगी और फैमिली प्रेशर ने उन्हें परेशान किया। देवांशु ने प्राइवेट जॉब भी की, लेकिन सिविल सर्विसेज का जुनून छोड़ नहीं सका।
देवांशु ने बताया कि रोजाना 12-14 घंटे पढ़ाई, लेकिन कोचिंग की फीस न होने से सेल्फ-स्टडी पर निर्भर रहे। 2023 में पहला अटेम्प्ट फेल हो गया, जहां प्रीलिम्स क्लियर न हो सका। निराशा के बाद उन्होंने स्ट्रेटेजी बदली – NCERT बुक्स, स्टैंडर्ड रेफरेंस जैसे लक्ष्मीकांत और स्पेक्ट्रम पर फोकस किया। करंट अफेयर्स के लिए न्यूजपेपर और ऑनलाइन रिसोर्सेज का सहारा लिया।
2025 के प्रीलिम्स और मेन्स में उन्होंने आंसर राइटिंग प्रैक्टिस पर जोर दिया। देवांशु ने कहा कि फेलियर ने मुझे सिखाया कि कॉन्सिस्टेंसी ही सफलता की कुंजी है। आज रैंक 1 मिलना मेरी 3 साल की मेहनत का फल है। उनकी स्टोरी बताती है कि सही प्लानिंग से पहली अटेम्प्ट में भी टॉप संभव है।
ऋषव अवस्थी की चुनौतीपूर्ण यात्रा: EWS बैकग्राउंड से रैंक 2, 4 असफलताओं के बाद सफलता
EWS कैटेगरी से रैंक 2 हासिल करने वाले ऋषव अवस्थी की स्ट्रगल स्टोरी संघर्ष की मिसाल है। भोपाल के एक छोटे से गांव से आने वाले ऋषव के पिता किसान हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति ने उनकी पढ़ाई को प्रभावित किया। 2019 में ग्रेजुएशन के बाद UPSC की तैयारी शुरू की, लेकिन दिल्ली में कोचिंग के खर्चे न उठा सके। वापस भोपाल लौटकर MPPSC पर फोकस किया।
पहले तीन अटेम्प्ट्स (2020-2022) में प्रीलिम्स और मेन्स क्लियर करने में असफल रहे। ऋषव ने कहा कि हर फेलियर के बाद लगा कि सपना टूट जाएगा, लेकिन परिवार का सपोर्ट और दोस्तों की मोटिवेशन ने मुझे संभाला। 2023 में एक प्राइवेट जॉब जॉइन की, लेकिन शाम को 6-8 घंटे पढ़ाई जारी रखी।
EWS कोटा की वजह से आरक्षण विवादों ने इंटरव्यू टाले, लेकिन 2024 के मेन्स में उन्होंने जीएस पेपर पर मजबूत पकड़ बनाई। मॉक इंटरव्यू प्रैक्टिस से कॉन्फिडेंस बढ़ा। उन्होंने कहा कि 4 असफलताओं ने मुझे मजबूत बनाया। अब DSP बनना मेरा लक्ष्य है। ऋषव की कहानी आर्थिक कमजोरी वाले उम्मीदवारों के लिए उम्मीद जगाती है।
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अंकित की प्रेरणादायक कहानी: SC कैटेगरी से रैंक 3, सामाजिक बाधाओं का सामना
SC कैटेगरी से रैंक 3 हासिल करने वाले अंकित की स्टोरी सामाजिक चुनौतियों पर विजय की है। जबलपुर के एक गरीब परिवार से आने वाले अंकित के पिता मजदूर हैं और बचपन से ही आर्थिक-सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा। स्कूल में टॉपर थे, लेकिन ग्रेजुएशन के बाद MPPSC की तैयारी के लिए संसाधनों की कमी ने रुकावट डाली।
2021 में पहला अटेम्प्ट दिया, लेकिन मेन्स में फेल। अगले दो सालों में दो और असफलताएं मिलीं। अंकित ने कहा कि SC बैकग्राउंड में सोशल प्रेशर और फैमिली रिस्पॉन्सिबिलिटी ने डिप्रेशन ला दिया। उन्होंने फ्री ऑनलाइन रिसोर्सेज और लाइब्रेरी का सहारा लिया। 2024 में स्ट्रेटेजी बदली – हिंदी मीडियम में तैयारी, जहां जीएस और मध्य प्रदेश स्पेसिफिक टॉपिक्स पर फोकस किया।
इंटरव्यू में अपनी कमजोरियों को सुधारने के लिए मॉक सेशन्स लिए। आरक्षण विवादों के बावजूद हार नहीं मानी। रैंक 3 से साबित हुआ कि मेहनत सबको पीछे छोड़ देती है। अंकित अब डिप्टी कलेक्टर बनने को तैयार हैं और उनकी स्टोरी आरक्षित वर्ग के युवाओं को प्रोत्साहित करती है।
शुभम की दृढ़ता: OBC से रैंक 4, 5 साल की मेहनत और जॉब-पढ़ाई का बैलेंस
OBC कैटेगरी के शुभम ने रैंक 4 हासिल कर दिखाया कि दृढ़ता से कुछ भी संभव है। ग्वालियर के रहने वाले शुभम के परिवार में कोई सरकारी नौकरी नहीं थी और पिता की छोटी दुकान चलाने वाले घर में पढ़ाई का खर्च मुश्किल था। 2020 से तैयारी शुरू की, लेकिन पहले चार अटेम्प्ट्स में इंटरव्यू तक पहुंचे लेकिन सिलेक्शन नहीं।
5 साल की तैयारी में जॉब भी की, लेकिन रातों को पढ़ाई जारी रखी। थकान और फाइनेंशियल स्ट्रेस ने तोड़ा, लेकिन योग और मोटिवेशनल बुक्स ने संभाला। उन्होंने बिना कोचिंग के सेल्फ-स्टडी की, जहां मध्य प्रदेश इतिहास और इकोनॉमिक्स पर स्पेशलाइजेशन किया।
2025 मेन्स में आंसर राइटिंग स्किल्स ने फायदा दिया। OBC कोटा में कॉम्पिटिशन कठिन है, लेकिन हार नहीं मानी। अब असिस्टेंट डायरेक्टर बनना चाहता हूं। शुभम की स्टोरी बैलेंस्ड लाइफ के साथ सफलता की मिसाल है।
हर्षिता दवे की सफलता: जनरल कैटेरी से रैंक 5, महिलाओं के लिए मिसाल
टॉप 5 में एकमात्र महिला हर्षिता दवे की स्टोरी लैंगिक बाधाओं को तोड़ने की है। उज्जैन से आने वाली हर्षिता ने ग्रेजुएशन के बाद 2021 से MPPSC शुरू किया। घर-परिवार संभालते हुए पढ़ाई करना चुनौतीपूर्ण था। पहले दो अटेम्प्ट्स में प्रीलिम्स क्लियर न हो सका।
महिलाओं के लिए सोसाइटी का प्रेशर और मैरिज प्रोपोजल्स ने डिस्ट्रैक्ट किया, लेकिन फैमिली ने सपोर्ट किया। उन्होंने ऑनलाइन कोर्स और ग्रुप स्टडी का सहारा लिया। 2023 में जॉब ट्राई की, लेकिन छोड़ दी।
2025 में फोकस इंटरव्यू प्रिपरेशन पर किया, जहां कॉन्फिडेंस बिल्डिंग की। रैंक 5 मिलना महिलाओं को दिखाता है कि घर-करियर बैलेंस संभव है। हर्षिता अब डिप्टी कलेक्टर बनकर समाज सेवा करना चाहती हैं।
क्यों प्रेरणादायक हैं ये स्टोरीज
ये चुनिंदा टॉपर्स की स्ट्रगल स्टोरीज साबित करती हैं कि MPPSC 2025 जैसी कठिन परीक्षा में असफलताएं सीढ़ी हैं। देवांशु की पहली अटेम्प्ट सफलता से लेकर अंकित की सामाजिक संघर्ष तक सभी ने सेल्फ-स्टडी, कॉन्सिस्टेंसी और पॉजिटिव माइंडसेट से जीत हासिल की।
MPPSC 2025 के उम्मीदवारों के लिए संदेश: हार मत मानो, स्ट्रेटेजी बनाओ। आयोग की अनियमितताओं के बावजूद मेहनत रंग लाती है। फाइनल मेरिट लिस्ट इंटरव्यू के बाद आएगी, जो इन टॉपर्स को अफसर बनाएगी।











