नेशनल डेस्क: तमिलनाडु के करूर में तमिल सुपरस्टार और तमिलागा वेत्री कझगम (TVK) प्रमुख विजय की रैली में मची भगदड़ ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। इस भयावह हादसे में 39 लोगों की जान चली गई, जिनमें 17 महिलाएं, 9 पुरुष और 9 बच्चे शामिल हैं। 150 से अधिक लोग घायल हैं, जिनमें से कई अभी भी करूर और तिरुचिरापल्ली के अस्पतालों में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं।
करूर भगदड़ (Karur Stampede) के पीछे कौन जिम्मेवार है। इस तमिलनाडु राजनीतिक रैली हादसे के पीछे छिपी है एक ऐसी लापरवाही की कहानी जो सवाल उठाती है कि क्या बड़े राजनीतिक आयोजनों में जनता की जान की कीमत इतनी सस्ती हो गई है?
यह घटना न सिर्फ TVK की पहली बड़ी रैली का काला अध्याय बन गई है, बल्कि तमिलनाडु की राजनीति में भी भूचाल ला रही है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इसे “राज्य के लिए काला दिन” करार दिया है, जबकि विपक्षी दल इसे “सरकारी लापरवाही” बता रहे हैं।
सुबह से शाम तक की वो घंटे जो बन गए कालिमा भरी यादें
करूर भगदड़ (Karur Stampede) की जड़ें 27 सितंबर 2025 की सुबह से जुड़ी हैं। विजय की यह रैली उनके राज्यव्यापी ‘वेलिचम वेलीयेरु’ (प्रकाश फैलाओ) अभियान का हिस्सा थी, जो 2026 विधानसभा चुनावों की तैयारी में TVK को मजबूत करने का प्रयास था। लेकिन जो सुबह उत्साह से शुरू हुई, वह शाम तक खून और आंसुओं की नदी बन गई। यहां है घटना की घड़ी-दर-घड़ी डिटेल:

सुबह 9 बजे से भीड़ का जमावड़ा शुरू: रैली का आयोजन करूर-ईरोड हाईवे पर वेलुसाम्यपुरम मैदान में था, जहां प्रशासन ने TVK को महज 10,000 लोगों की अनुमति दी थी। लेकिन विजय के फैंस, जो तमिल सिनेमा के ‘थलपति’ के नाम से मशहूर हैं, सुबह से ही उमड़ पड़े। अनुमान है कि करीब 30,000 से 50,000 लोग इकट्ठा हो गए। इस भीड़ में ज्यादातर लोग नमक्कल, ईरोड और कोयंबटूर जिले से थे। आयोजकों ने विजय के दोपहर 12 बजे पहुंचने का ऐलान किया था, लेकिन लोग सुबह 9 बजे से ही मैदान में डेरा डाल चुके थे।
चश्मदीदों के मुताबिक, शुरुआत में माहौल उत्साही था। लोग विजय के पुराने हिट गानों जैसे ‘थुप्पाक्की’ और ‘मास्टर’ के डायलॉग्स गुनगुना रहे थे। लेकिन जल्द ही धूप और भीड़ ने परेशानी बढ़ा दी। पानी की बोतलों की भारी कमी थी, और शौचालय जैसी बेसिक सुविधाएं न के बराबर। लोगों ने बताया कि “हम सुबह 8 बजे पहुंचे थे। दोपहर तक कोई पानी नहीं मिला। बच्चे रो रहे थे, महिलाएं बेहोश हो रही थीं।”
घंटों का इंतजार और बढ़ती बेचैनी: विजय नमक्कल रैली से सीधे करूर आ रहे थे, लेकिन ट्रैफिक और सुरक्षा इंतजामों के कारण 6 घंटे की देरी हो गई। इस दौरान मैदान पर भीड़ और घनी हो गई। लोग थकान, भूख और प्यास से चूर हो चुके थे। दोपहर 2 बजे तक महज 4,000 लोग थे, लेकिन 4 बजे के बाद खबर फैली कि विजय करूर की ओर बढ़ रहे हैं, तो भीड़ दोगुनी हो गई।
पुलिस ने बैरिकेडिंग की कोशिश की, लेकिन अपर्याप्त फोर्स के कारण यह नाकाफी साबित हुई। ADGP एस. डेविडसन ने बाद में कहा, आयोजकों ने अनुमानित संख्या से कहीं ज्यादा लोग आने की उम्मीद नहीं की थी। एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स की कमी ने स्थिति को बिगाड़ दिया। इसी दौरान कुछ लोग बेहोश होने लगे। विजय के कैंपेन व्हीकल के आसपास धक्का-मुक्की शुरू हो गई और एम्बुलेंस को आने में मुश्किल हुई।
विजय का आगमन के बाद उत्साह से त्रासदी तक: विजय करीब 6 बजे करूर के ओवरब्रिज पर पहुंचे, जो मैदान से महज 1 किलोमीटर दूर था। लेकिन सड़क पर लगी भीड़ ने उनके वाहन को आगे बढ़ने नहीं दिया। आखिरकार 7 बजे वे मैदान पहुंचे। मंच पर चढ़ते ही विजय ने अपनी स्पीच शुरू की, लेकिन भीड़ का जुनून हादसे का शिकार हो गया। उन्होंने DMK सरकार पर निशाना साधा कि करूर एयरपोर्ट का वादा पूरा न करने और पूर्व मंत्री की विवादास्पद छवि पर। लेकिन स्पीच के बीच में ही हलचल मच गई।
कैसे मची भगदड़: मंच से अचानक ऐलान हुआ कि भीड़ में एक 9 साल की बच्ची लापता हो गई है। विजय ने खुद अपील की कि “पुलिस और कार्यकर्ताओं से बच्ची की तलाश में मदद लें।” यह अपील उत्साह में तब्दील हो गई अफरा-तफरी। लोग बच्ची को ढूंढने के बहाने एक-दूसरे पर चढ़ने लगे। विजय के वाहन के पास लोग पानी की बोतलें लेने के लिए लपके, जिससे कुछ गिर पड़े। देखते ही देखते भगदड़ मच गई, लोग एक-दूसरे के ऊपर लुढ़कने लगे। सड़क पर जूते, चप्पलें, कपड़े और पानी की बोतलें बिखर गईं।

DGP जी. वेंकटरमन ने बताया कि “भीड़ अचानक बेकाबू हो गई। विजय का देर से आना और बच्ची के गुम होने की अफवाह ने आग में घी डाल दिया।” हादसे में ज्यादातर मौतें दम घुटने और चोटों से हुईं।
रेस्क्यू ऑपरेशन और अस्पतालों में हाहाकार: भगदड़ के तुरंत बाद सरकारी और निजी एम्बुलेंसें दौड़ीं। करूर के गवर्नमेंट हॉस्पिटल, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल और तिरुचिरापल्ली के अस्पतालों में घायलों को भर्ती किया गया। रात 1 बजे तक टोल 39 पहुंच गया। स्वास्थ्य मंत्री मा. सुब्रमण्यम ने कहा कि “16 महिलाएं, 9 पुरुष और 9 बच्चे शिकार हुए। 65 से ज्यादा घायल हैं, जिनमें 40 की हालत गंभीर है।”
सुनिए चश्मदीदों की दिल दहला देने वाली गवाहियां
करूर भगदड़ की असली तस्वीर चश्मदीदों की जुबानी ही उभरती है। ये कहानियां न सिर्फ दर्द की हैं, बल्कि लापरवाही की भी।

प्यास और थकान का कहर: मैरी (नाम बदला गया), एक 35 साल की गृहिणी ने बताया कि हम सुबह 10 बजे पहुंचे। दोपहर तक कोई पानी नहीं। मेरा 5 साल का बेटा रो रहा था। विजय भाई के आने की खबर पर भीड़ बढ़ी, लेकिन सुविधाएं शून्य। लोग गिरने लगे और कोई मदद नहीं। कई महिलाएं बेहोश हो गईं, लेकिन एम्बुलेंस जाम में फंस गईं। इसलिए दिक्कत हुई।
बच्ची की तलाश जो बनी मौत का पैगाम: लापता 9 साल की बच्ची की मां लक्ष्मी रोते हुए बोलीं कि मंच से अपील हुई तो लोग भागे। मेरी बेटी को ढूंढते-ढूंढते मैं खुद गिर पड़ी। चारों तरफ चीखें आ रही थी। मेरी बेटी मिल गई, लेकिन कई परिवार बर्बाद हो गए। यह अफवाह ही भगदड़ का ट्रिगर बनी।
गिरते-पड़ते लोग और बंद रास्ते: एक युवा कार्यकर्ता ने कहा कि विजय के वाहन के पास पानी फेंकने पर लोग लपके। कुछ गिरे, तो बाकी ऊपर चढ़ गए। सांस लेना मुश्किल हो गया। रास्ते जाम थे, जिससे एम्बुलेंस 20 मिनट लेट पहुंची। पुलिस पर आरोप लगा कि उन्होंने लाठीचार्ज किया, लेकिन अधिकारियों ने खारिज किया।
अस्पतालों में रात भर का संघर्ष: करूर जीएच में डॉक्टरों ने बताया कि रात 10 बजे तक घायल आते रहे। दम घुटना और फ्रैक्चर के केस ज्यादा थे। बच्चे और महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं थी। एक घायल बच्चे की मां ने कहा कि मेरा बेटा अब भी वेंटिलेटर पर है। रैली का उत्साह हमें महंगा पड़ गया।
ये गवाहियां साफ करती हैं कि सुविधाओं की कमी ने छोटी हलचल को त्रासदी बना दिया।
प्रशासन, पुलिस और सरकार की भूमिका के बीच लापरवाही के कई चेहरे
पुलिस और प्रशासन की सफाई: DGP जी. वेंकटरमन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अनुमति 10,000 की भीड़ थी, लेकिन 50,000 लोग पहुंच गए। आयोजकों ने भीड़ अनुमान गलत बताया। विजय का 6-8 घंटे लेट होना तनाव बढ़ा। ADGP एस. डेविडसन ने जोड़ा ने कहा कि एंट्री पॉइंट्स कम थे। पुलिस फोर्स अपर्याप्त साबित हुई। पुलिस ने TVK के करूर जिला सचिव मुथियाजगन के खिलाफ केस दर्ज किया है।
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की प्रतिक्रिया: सीएम स्टालिन ने इसे “दिल दहला देने वाला” बताया। रात में वे खुद करूर पहुंचे और अस्पतालों का दौरा किया। उन्होंने घोषणाएं की कि मृतकों के परिवार को 5 लाख रुपये मुआवजा मिलेगा। घायलों का मुफ्त इलाज होगा। जस्टिस अरुणा जगदीशेन की अगुवाई में हाई-लेवल जांच कमेटी गठित की गई है। स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्री को तुरंत राहत कार्यों के लिए भेजा गया है।
केंद्र और अन्य राज्यों से संवेदनाएं: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह दुखद है। पीड़ित परिवारों के साथ हूं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और केरल सीएम पिनाराई विजयन ने शोक जताया। तमिलनाडु गवर्नर आरएन रवि ने भी दुख व्यक्त किया।
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विजय की चुप्पी और आलोचना का तीर
एक्टर विजय ने स्पीच छोटी रखी और रैली छोड़ दी। सोशल मीडिया पर लिखा कि दर्द में तड़प रहा हूं। मृतकों के परिवारों को संवेदना। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना। लेकिन आलोचना हो रही है।
विपक्षी नेता एडाप्पादी के. पलानीस्वामी ने कहा कि विजय को अस्पताल जाना चाहिए था, लेकिन वे चेन्नई भाग गए। जस्टिस एन. सतीश कुमार ने टिप्पणी की कि पार्टी प्रेसिडेंट होने के नाते विजय को भीड़ कंट्रोल करनी चाहिए थी।










