भारतीय पंचांग में पूर्णिमा (Purnima) को अत्यंत शुभ और पूजनीय तिथि माना गया है। लेकिन इस बार 7 सितंबर 2025 की पूर्णिमा और भी खास रहने वाली है क्योंकि इस दिन रात को पूर्ण चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2025) लगेगा और इसके अगले ही दिन यानी 8 सितंबर से पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) की शुरुआत हो जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह दिन आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण रहेगा और इसका प्रभाव देवताओं के साथ-साथ पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए भी विशेष होगा।
सत्यनारायण कथा का महत्व (Satyanarayan Katha Importance)
सत्यनारायण व्रत का उल्लेख प्राचीन ग्रंथ स्कंदपुराण में मिलता है। इस व्रत को करने से जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं और घर-परिवार में सुख-शांति एवं समृद्धि आती है।
सत्यनारायण भगवान को भगवान विष्णु का ही सुलभ स्वरूप माना गया है। उनकी कथा सुनने और व्रत करने से भक्तों को निम्नलिखित फल प्राप्त होते हैं:
- दरिद्रता और रोगों से मुक्ति
- संतान सुख और सौभाग्य की प्राप्ति
- व्यापार और करियर में उन्नति
- परिवार में सौहार्द और मानसिक शांति
- पितृ पक्ष से पहले कथा करने से पूर्वजों की आत्मा को तृप्ति और मोक्ष
पूर्णिमा का महत्व (Purnima Significance)
धर्मसिंधु और मुहूर्त चिंतामणि जैसे ग्रंथों में पूर्णिमा की महत्ता का स्पष्ट उल्लेख है। पूर्णिमा को किया गया स्नान, दान और जप गंगा स्नान के बराबर फल देता है। इस दिन देव-पूजन, व्रत और कथा श्रवण करने से सहस्रगुना फल प्राप्त होता है। हालांकि, भद्रा काल में विवाह, गृह-प्रवेश या नए कार्यों की शुरुआत वर्जित मानी जाती है।
7 सितंबर 2025 का पंचांग (Panchang)
- तिथि: पूर्णिमा, समाप्ति रात 11:38 बजे
- नक्षत्र: शतभिषा (रात्रि 9:41 तक), इसके बाद पूर्वाभाद्रपदा
- योग: सुकर्मा (सुबह 6:10 से 9:23 तक)
- भद्रा: दोपहर 12:43 बजे तक
- चंद्र राशि: कुंभ
- सूर्य राशि: सिंह
- विशेष: पूर्ण चंद्र ग्रहण (आरंभ 9:58 PM, मध्य 11:42 PM, मोक्ष 1:26 AM)
चंद्र ग्रहण और सूतक का प्रभाव (Chandra Grahan 2025 Sutak)
7 सितंबर को चंद्र ग्रहण पड़ने के कारण दोपहर 12:57 बजे से सूतक लग जाएगा। शास्त्रों के अनुसार सूतक लगने के बाद पूजा-पाठ, कथा-श्रवण और नैवेद्य अर्पण वर्जित हो जाते हैं। ग्रहण काल में पूजा-पाठ के बजाय मंत्र-जप और ध्यान करना शुभ माना जाता है। ग्रहण के दौरान किया गया जप और स्तोत्र पाठ सामान्य दिनों से हजार गुना फलदायी होता है। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करना और दान देना आवश्यक है।
शुभ मुहूर्त – कब करें पूजा? (Shubh Muhurat for Puja)
सूतक शुरू होने से पहले सुबह पूजा और कथा करना सर्वोत्तम है।
- सुबह 6:30 से 10:30 बजे तक का समय सबसे उत्तम रहेगा
- अभिजित मुहूर्त 11:54 से 12:44 बजे तक उपलब्ध है, लेकिन 12:43 बजे तक भद्रा रहने के कारण यह व्यावहारिक रूप से कठिन होगा
- इसलिए पारिवारिक दृष्टि से सुबह का समय ही सर्वोत्तम है
सत्यनारायण कथा की विधि (Satyanarayan Puja Vidhi)
- प्रातः स्नान के बाद संकल्प लें
- वेदी पर भगवान विष्णु या सत्यनारायण की प्रतिमा स्थापित करें
- गणेश पूजन, कलश स्थापना और नवग्रह पूजन करें
- श्रद्धापूर्वक सत्यनारायण कथा के पांच अध्याय सुनें या कराएं
- पंचामृत, फल और मिठाई का नैवेद्य अर्पण करें
- आरती के बाद प्रसाद वितरण करें
- ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान दें
पितृ पक्ष से पूर्व का विशेष महत्व (Pitru Paksha 2025 Importance)
7 सितंबर की पूर्णिमा पर की गई पूजा और कथा का पुण्य सीधे पितरों तक पहुंचता है। 8 सितंबर से पितृ पक्ष प्रारंभ होगा। ब्रह्मपुराण के अनुसार इस दिन की पूजा से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो लोग पितृ ऋण से मुक्ति चाहते हैं, उनके लिए यह दिन अत्यंत लाभकारी है।
ग्रहण काल में क्या करें? (Chandra Grahan Remedies)
- “ॐ नमो नारायणाय” या “ॐ विष्णवे नमः” मंत्र का जप करें
- भगवान विष्णु का ध्यान और स्तोत्र पाठ करें
- ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान कर दान और दक्षिणा दें
7 सितंबर 2025 की पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण का संयोग धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन सुबह सूतक आरंभ से पहले सत्यनारायण कथा करना और रात को ग्रहण काल में मंत्र-जप एवं ध्यान करना अत्यधिक पुण्यदायी रहेगा। अगले दिन पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत होने से इस पूजा का फल सीधे पितरों तक पहुँचेगा और परिवार को सुख-समृद्धि के साथ पितृ कृपा प्राप्त होगी।











